शाहीन बाग में अब भी नहीं बदले हालात, महिलाओं का धरना जारी


दिल्ली ।  शाहीन बाग में 15 दिसंबर से लगातार CAA, NPR और NRC के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहा है जहां पर ज्यादा तादाद में महिलाएं धरने पर बैठी है। शाहीन बाग के मुद्दे पर काफी राजनीतिक गहमागहमी भी हुई। सभी नेताओं ने उस पर राजनीतिक रोटियां सेंकी। चुनाव के समय शाहीन बाग पर हर किसी ने राजनीति की। उम्मीद लगाई जा रही थी कि चुनाव के बाद शाहीन बाग का हल निकलेगा परंतु चुनाव के बाद भी हालात जस के तस रहे। वर्तमान सरकार ने कोई सुनवाई या बातचीत शाहीन बाग के लोगों से नहीं की। एक तरफ गृहमंत्री अमित शाह ने साफ किया कि वह CAA, NRP और NRC को वापस नहीं लेंगे और ना ही 1 इंच पीछे हटेंगे। शाहीन बाग पर बैठे प्रदर्शनकारियों ने निश्चय किया कि जब तक CAA, NPR और NRC को वापस नहीं लिया जाएगा तब तक वे लगातार शाहीन बाग की रोड पर धरना प्रदर्शन करते रहेंगे। 



 


इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने दखल दिया और सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दो वार्ताकार शाहीन बाग में भेजे गए। संजय हेगडे और साधना रामचंद्र को यह जिम्मा सौंपा गया कि वह प्रदर्शनकारियों से बात करें और कोई मध्यस्था का रास्ता निकालें लेकिन लगातार चार दिन वार्ता करने के बाद कोई अहम रास्ता नहीं निकला शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने दोनों वार्ताकारों की बात मानते हुए एक तरफा रास्ता खोला लेकिन अभी भी लगातार शाहीन  बाग में धरना प्रदर्शन जारी है वही 24- 25 फरवरी को उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसा ने उग्र रूप ले लिया। जफराबाद में महिलाएं CAA, NRC, NPR के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थी वहीं उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसा भड़क उठी जिसके कारण 40 से 50 के बीच में लोगों की मौत हुई, काफी घर जलाए गए, हिंसक प्रताड़ना हुई। दोनों गुटों में बहुत ही ज्यादा झड़प हुई। एक तरफ CAA के समर्थन में लोग थे दूसरी तरफ CAA के विरोध में जफराबाद, मौजपुर, करावलनगर, शिव विहार, चांद बाग़ जैसे इलाकों में यह हिंसक घटनाएं हुईं जिसके बाद पूरी दिल्ली में दहशत का माहौल है। लोगों का ध्यान  CAA, NPR और NRC से हटकर हिंदू मुस्लिम मुद्दे पर आ गया है। 

 

 

उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई घटनाओं के कारण शाहीन बाग का मुद्दा गुम हो गया है। लेकिन अभी भी शाहीन बाग में हालत बहुत ही नाजुक हैं। पिछले कुछ दिनों से शाहीन बाग में धारा 144 लागू कर दी गई है, और ज्यादा से ज्यादा पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। उत्तर पूर्वी घटनाओं के बाद पूरी दिल्ली और देश में बहुत ही गहमागहमी का माहौल बना हुआ है और शाहीन बाग में हालात नाजुक बने हुए हैं। वहीं अब शासन प्रशासन उत्तर पूर्वी दिल्ली पर हुई हिंसा पर ज्यादा ध्यान दे रहा है। शाहीन बाग CAA, NPR और NRC का मुद्दा अब भटक सा गया हैं। वहीं शाहीन बाग के नजदीक के इलाकों में भी लोगों के अंदर रोष है। चंद दिनों पहले शाहीन बाग में हिंसक झड़प होने के आसार थे। यह अफवाह पूरे इलाके में फैल गई थी की मदनपुर खादर में हिंदू संघ के लोगों ने ऐलान कर दिया था कि वह 1 तारीख को शाहीन बाग पर किसी भी प्रकार की हिंसक गतिविधि कर सकते हैं। जिसके कारण शाहीन बाग प्रदर्शनकारियों के अंदर काफी डर बैठ गया था। लेकिन साउथ जोन के डीसीपी और आला अधिकारियों ने जाकर हिन्दू संघ के लोगों को और वहां की आम जनता को समझाया और कहा कि हालात सामान्य रखें अभी भी लगातार शाहीन बाग में धरना प्रदर्शन चल रहा है महिलाएं, पुरुष लगातार धरने पर बैठे हुए हैं। इंतजार है तो अब सबको सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जो 23 मार्च को आने वाला है तब तक शाहीन बाग में इसी तरह धरना प्रदर्शन चलता रहेगा।

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